अजब-गजब: भारत के इस गांव में कपड़ों के बिना रहती हैं महिलाएं, जानिए इसकी पीछे की वजह

  • भारत के हिमाचल प्रदेश में मौजूद है यह गांव
  • पुरानी परंपरा के चलते साल के 5 दिन निर्वस्त्र रहती हैं महिलाएं
  • परंपरा न निभाने पर देवता हो जाते हैं नाराज!

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-05 18:27 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आपने दुनिया के ऐसे कई गांव के बारे में सुना होगा, जो अपनी अनोखी परंपराओं को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं। ऐसा ही एक गांव भारत में भी मौजूद है, जिसकी अजीबोगरीब परंपरा के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल, इस गांव में साल के 5 दिन महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं। उनके ऐसा करने के पीछे की वजह गांव में चली आ सदियों पुरानी प्रथा है।

पहाड़ी राज्य हिमाचल में स्थित है ये गांव

यह गांव देश के पहाड़ी राज्यों में से एक हिमाचल प्रदेश में स्थित है। राज्य की मणिकर्ण घाटी में स्थित इस गांव का नाम पिणी है। जहां सदियों से एक प्रथा चली आ रही है, जिसके मुताबिक साल के 5 दिन महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं। इन पांच दिनों में किसी दूसरी जगह के लोगों के गांव में आने पर सख्त पाबंदी होती है। पिणी गांव के लोग सदियों से इस परंपरा का सख्ती से पालन कर रहे हैं।

परंपरा का पालन न करने पर नाराज हो जाते हैं देवता

इन पांच दिन में गांव की सभी महिलाएं घर पर ही रहती हैं। उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। ऐसे में, व्यक्ति उन्हें देख नहीं पाता है, वे अपने घर पर ही, इस परंपरा का पालन करती हैं। इस दौरान केवल महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी कुछ नियम का पालन करते हैं। इस दौरान ना तो वे शराब पी सकते हैं और ना ही नॉन वेज खा सकते हैं। इसके अलावा इन पांच दिनों के दौरान पति-पत्नी आपस में बातचीत भी नहीं कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस परंपरा का पालन नहीं करता तो उसके साथ कुछ दिनों बाद बुरा हो जाता है। गांव में रहने वाले लोग बताते हैं कि इस परंपरा का पालन जो भी नहीं करता उससे देवता नाराज हो जाते हैं। बता दें कि यह परंपरा इतनी सख्त है कि पति-पत्नी इस दौरान एक-दूसरे को छूना तो दूर देखकर हंस भी नहीं पाते हैं।

कैसे हुई परंपरा की शुरूआत?

इस परंपरा की शुरूआत के बारे में गांव के लोगों का कहना है कि, सदियों पहले उनके गांव पर राक्षसों ने कब्जा कर लिया था। राक्षस गांव की सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को अपने साथ ले जाते थे। तब गांव वालों की रक्षा राक्षसों से करने के लिए लाहुआ घोंड नाम के देवता अवतरित हुए। उन्होंने राक्षसों को परास्त कर गांव वालों को उनके अत्याचार से आजादी दिलाई थी।

गांव वालों की मान्यता है कि अगर महिलाएं सुंदर कपड़े पहनेगी तो आज भी राक्षस की बुरी नजर उन पर पड़ सकती है। यही वजह है कि महिलाएं बिना कपड़ों के रहती हैं। इस दौरान अगर कोई महिला अपने शरीर को ढकना चाहती है तो वह बस ऊन से बने एक पटका का उपयोग कर सकती है।

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